Sunday, February 6, 2011

आस

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एक दिन, चढ़ गया है..
एक पत्ता, झड़ गया है..
एक दोस्ती,  टूट गयी है..
एक डोर, छूट गयी है..
एक पता, गुम गया है..
एक रास्ता, रुक गया है..
एक रंग , धुल गया है..
एक बंधन, खुल गया है..

एक कमरा, खाली है..
एक क़रार, जाली है..
एक किस्मत, रूठी है..
एक मुस्कान, झूठी है..
एक रिश्ता, अज़ीब है..
एक दिल, गरीब है..
एक डगर, अनजानी है..
एक सौदा, बेमानी है..
एक रात , बहुत लंबी है..
एक बात , बहुत लंबी है..
...............
...............
एक मयखाना , वहाँ साक़ी है..
एक जाम , अभी बाकी है..
एक सपना, अधूरा है..
एक पन्ना,  कोरा है..
एक आस , अभी ज़िंदा है..
एक इंसान, शर्मिंदा है..
एक धड़कन, मचलती है..
एक ज़िंदगी, चलती है ..…..
………………..रजनीश (06.02.2011)

7 comments:

Amit Chandra said...

very nice.

Sunil Kumar said...

ek insan jida hai ? kash ......

Anamikaghatak said...

पंक्ति-पंक्ति अति सुन्दर ......प्रखर

amit kumar srivastava said...

very nice lines..

Sadhana Vaid said...

बहुत कुछ कहती सी, बहुत कुछ भोगने की व्यथा सुनाती सी बेहद मर्मस्पर्शी रचना ! बधाई एवं शुभकामनायें !

Dorothy said...

खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

Sushil Bakliwal said...

सुन्दर शब्द संयोजन...

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....