Friday, February 11, 2011

दोस्त

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वो कुछ कहता नहीं,
और मैं सुन लेता हूँ,
क्योंकि उसकी बातें
मेरे पास ही रखी हैं,
उसकी आवाज़ में झाँककर
कई बार अपने चेहरे पर चढ़ी धूल
साफ की है मैंने ,
अक्सर उसकी वो आवाज़,
वहीं पर सामने होती है
जहां तनहा खड़ा ,
मैं खोजता रहता हूँ खुद को,
उस खनक में ,
रोशनी  होती है एक
जो करती है मदद,
और मेरा हाथ पकड़
मुझे ले आती है मेरे पास,
उसकी आवाज़ फिर  सहेजकर 
रख लेता हूँ....
दोस्त है वो मेरा .....
.............रजनीश (10.02.2011)

6 comments:

Roshi said...

dosti ki yaden youn hi sahej ker rakhi jati hai

Amit Chandra said...

यादें ही तो एक बची होती है हमारे पास जो सारी जिंदगी अपनो को पास रखती है। उम्दा रचना। आभार।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

bahut umda .
yaaden sada pas hi rahti hain.

OM KASHYAP said...

वो कुछ कहता नहीं,
और मैं सुन लेता हूँ,
क्योंकि उसकी बातें
मेरे पास ही रखी हैं,
yaden sada ke liye

डॉ. मोनिका शर्मा said...

Bahut Sunder.....

अनुपमा पाठक said...

दोस्त होता ही है इतना अपना...!

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....