Friday, December 10, 2010

सपना , एक जमीन का.....

this is about dream of a land..and so to say the dream of the writer, thats me!!

its about a barren land in Gujarat surrounded by trees, agri. fields and located on the sides of a small river stream!! एक श्मशान भी था पास में । और एक गाँव से लगी हुई थी ये जमीन ... I was there for constructing one big electrical sub station and i wrote this in 1999 just after joining here on transfer /मैंने इसे काम शुरू होने से पहले लिखा था , वो समय थोड़ा uncertainity भरा था , प्रोजेक्ट की शुरुआत को लेकर । लगता था शायद प्रोजेक्ट शुरू ही नहीं होगा ... इसी माहौल में इस जमीन को देखकर अजीब सा एहसास होता था ...जैसे पड़ोस की कोई अधेड़ होती बिनब्याही हो सपने पिरोते .....

Now on that barren land, stands a modern technical marvel amidst beautifully done landscape !!! its dream come true….ये कल्पना के सच होने की कहानी है ...मैंने इसे साकार होते देखा है और इस परिवर्तन (transformation) का हर एक पल इस जमीन के साथ जिया है ...

DSCN1410

हरे घने पेड़ों और लहलहाते खेतों के बीच मिली ,

थी शून्य में ताकती , ऊँघती सी एक अकेली जमीन ...

नदिया की कल कल सुनती ,

बैठी रहती थी किनारे पर,

देखा करती थी , इंसान को जीते/ मरते अपने में समाते ,

यूं ही देखे थे उसने कई बसन्त और झुलसी थी गर्मियों में ,

बरसातों में रोई थी ,

एक गवाह थी वो, मूक , सारे जीवन-चक्र की ,

थे कुछ सपने इस अकेली के - बनते - बिगड़ते - बिखरते ,

यहाँ - वहाँ पड़े , कुछ खो गए थे - रात की स्याह गहराइयों में ,

इन्हें खोजते, बटोरते, सम्हालते पड़ी रहती थी एक जमीन ,

IMAG0537

फ़िर , हुई एक सुबह ,

अनूठी सी  , कुछ अलग ...

समेटा उसने जमीन को अपने सुनहले आगोश में ,

चिड़ियों ने गाया गाना , पत्तों ने दी ताल,

और मिलाए कदम पुरवैया ने ...

और नाच उठी थी वह ,

होने वाला था  साकार उसका सपना ,

मिलना था उसके अस्तित्व को एक आयाम ...

जमीन का सपना ...इंसान का सपना था ,

वो तो थी ही उसके लिए/ करने सच उसका सपना ...

सपना था एक ऐसे मंदिर का ,

जो करेगा संचार शक्ति का,

जो होगा मील का एक पत्थर ,

विकास के पथ पर ...

उगेंगे इस जमीं पर अब लोहे के जंगल ,

गुंथे आपस में तारों से ,

जो देंगे साँसे ज़िंदगी को ,

खो जाएगी ये जमीन ,

और जुड़ जाएंगे गाँव से गाँव,

देश से देश और दिल से दिल .....

....रजनीश ( 27.11.1999)

4 comments:

Lipika said...

Amazing words! I have been reading your blog for quite sometime and I find all of your compositions lovely. Even the design of your blog is very beautiful. Did not knew this part of you... Keep writing,
All the very best to you,

bilaspur property market said...

सुन्दर रचना |बहुत सुंदर

खबरों की दुनियाँ said...

अच्छी रचना - अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए "खबरों की दुनियाँ"

समय said...

शुक्रिया।

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....