Wednesday, December 1, 2010

यादें

IMAG0619
रस्ते में मिलते पत्थरों को गिना करता हूँ
बढ़ती दूरियों के एहसास की हर सांस गिना करता हूँ ...
रस्ते की धूल का एहसान ये, मुझ पर यारों
गुजरते कदमों के निशान लिए रहती है
निशानों के इस समंदर में खड़ा
कदमों की हर छाप गिना करता हूँ
रस्ते को छांव देते दरख्त यादों के
हर मौसम , हर साल बढ़ा करते हैं
पत्ते पत्ते पर लिखी कहानियाँ यादों की
पीले पड़ते उन पत्तों को गिना करता हूँ

....रजनीश

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