कोशिश करता रहता हूँ ,
खुद को जानने की,
लगा हूँ एक कोशिश में ,
खुद को समझने की,
सब करते होंगे ये,
जो जिंदा है ,
मरे हुए नहीं करते,
कोशिश का ये रास्ता ,
दरअसल भरा है काँटों से ,
बेसिर पैर और अनजानी सी जिंदगी
से बेहतर हैं ये,
जिनकी चुभन से उड़ती है नींद और खुल जाती है आँख ,
ये कांटे दिखाते हैं रास्ता ,
देते हैं हौसला ,
और भरते हैं मुझमें आशा ,
और आगे जाने की और
खुद से बेहतर हो जाने की......
....रजनीश
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