दीवाली की धूम ,
पटाखों की आवाज थमी नहीं
और दूसरे धमाके शुरू,
चव्हाण गए चव्हाण आए ,
राजा का सिंहासन गया
और खेल के पीछे के खेल के खिलाड़ी हुए अंदर,
ये एक न रुकने वाला त्यौहार है ...
धर्म पर राजनीति और धार्मिक राजनीति में,
बढ़ती कीमतें और फैलता बाज़ार,
बढ़ते अमीर और बढ़ते गरीब,
अत्याचार ,व्यभिचार, भ्रष्टाचार और आतंक
ये है हमारे घर की तस्वीर
दीवाली के पहले और दीवाली के बाद की
.....रजनीश
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