आपकी याद में जिये जाएँ ,
गुजरे लम्हों को हम पिये जाएँ ।
उन लम्हों की वफ़ा कम न हुई ,
आज भी उतने ही अपने है, मेरे ।
इस अपनेपन में ही मरें जाएँ ,
उन लम्हों में बस जिये जाएँ ।
आपकी याद में जिये जाएँ ....
आज की ये खुशी , मेरी दरअसल ,
बीते लम्हों से ली उधारी है,
गम में जीने से तो बेहतर यारों,
उनके कर्जों तले दबे जाएँ ।
आपकी याद में जिये जाएँ ....
..........रजनीश (02.09.93)
2 comments:
जीने कि चाहत में उधार की ख़ुशी माजरा समझ में नहीं आया सोचने के टिप्पणी दूंगा....
इस नए और सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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