मेरी ज़िंदगी के रास्ते में
मिलता है एक ज़ालिम रास्ता
वही रास्ता जो सोता नहीं
है वो उसकी ज़िंदगी का रास्ता
जो मेरे घर का रास्ता है
वो रास्ता उसका घर है
मेरे घर पर एक छत है
उसका तो फैला अंबर है
एक गाड़ी मैं चलाता हूँ
रास्ते को आसान बनाने
एक गाड़ी वो चलाता है
ज़िंदगी की गाड़ी चलाने
हो जाती है जब रात
मेरी गाड़ी रुक जाती है
पर होती है उसकी रात तभी
गाड़ी जब उसकी रुक जाती है
मेरे रास्ते पर रिश्तों से
मुलाकात क्षणिक हो पाती है
उसके रास्ते , मुलाकातों में
क्षणिक रिश्ते बन जाते हैं
एक ही हैं हम दोनों
हैं दो हिस्से एक कहानी के
मैं हूँ एक ज़िंदगी
टूटे पहिये वाली
वो पहियों पे भागती
एक टूटी हुई ज़िंदगी
…रजनीश (22.05.11)
8 comments:
bhut hi khbsurat abhivakti...
जीवन की शानदार अभिव्यक्ति।
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हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्या दोगे प्यार की परिभाषा?
खूबसूरत अभिव्यक्ति
मेरे रास्ते पर रिश्तों से
मुलाकात क्षणिक हो पाती है
उसके रास्ते , मुलाकातों में
क्षणिक रिश्ते बन जाते हैं
बहुत बढ़िया लिखा है सर!
सादर
"मैं हूँ एक जिंदगी
टूटे पहियों वाली
वो पहियों पे भागती
एक टूटी जिंदगी "
...............जिंदगी के फलसफे को बड़ी सुन्दरता के साथ शब्दांकित किया है
.................प्रारंभ से अंत तक रचना की बुनावट एवं प्रवाह अद्भुत .....अति सुन्दर
एक ही हैं हम दोनों
हैं दो हिस्से एक कहानी के
मैं हूँ एक ज़िंदगी
टूटे पहिये वाली
वो पहियों पे भागती
एक टूटी हुई ज़िंदगी
waah
एक गाड़ी मैं चलाता हूँ
रास्ते को आसान बनाने
एक गाड़ी वो चलाता है
ज़िंदगी की गाड़ी चलाने
मर्मस्पर्शी एवं भावपूर्ण काव्यपंक्तियों के लिए कोटिश: बधाई !
मैं हूँ एक ज़िंदगी
टूटे पहिये वाली
वो पहियों पे भागती
एक टूटी हुई ज़िंदगी
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