Saturday, May 7, 2011

खुशी के गीत

DSCN3536
करना होता है हत्यारे का अंत
हमें देना पड़ता है उसे दंड ,
पर नहीं ये कोई सच्ची जीत
कैसे हम गाएं खुशी के गीत..

है  ये एक बेहद संगीन ज़ुल्म 
जब कोई  करता  है इंसान का खून,
वो खत्म कर देता है एक जीवन
एक संसार में छा जाता है  मौन..

दंड  दे,  हत्यारे को मारना  पड़ता है
बेशक खो चुका हो जो सब अधिकार,
छोड़ सारी संभावनाएं उसे जाना पड़ता है
असली सजा   भुगतता है उसका परिवार..

कैसे गाएं ? गर जारी हो बदस्तूर
हर तरफ इंसानों का बेमौत मरना,
जब जगह न बची हो कारागार में
और भरा हो पशुओं से हर कोना..

उसे सज़ा जरूर दो तुम मौत की
जिसने घोंटा इंसानियत का गला,
पर अब लगाओ कोई ऐसी जुगत
हो ख़त्म , ये मौतों का सिलसिला..

जब नहीं मरेगा कोई बेमौत
तब होगी हमारी असली जीत,
मरेगा जब अंदर बैठा हैवान
तब हम  गाएँगे  खुशी के गीत ...
...रजनीश (07.05.2011)

12 comments:

Anupama Tripathi said...

गहन वेदना ...
व्यथित कर गयी मन ....
एक -एक पंक्ति में सार ही सार है ...
बहुत सुंदर रचना ...!!

Arun sathi said...

आभार,
विचारणीय.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

उसे सज़ा जरूर दो तुम मौत की
जिसने घोंटा इंसानियत का गला,
पर अब लगाओ कोई ऐसी जुगत
हो ख़त्म , ये मौतों का सिलसिला..


अंतर्मन की वेदना लिए सुंदर आव्हान ......बेहतरीन रचना

Yashwant R. B. Mathur said...

जब नहीं मरेगा कोई बेमौत
तब होगी हमारी असली जीत,
मरेगा जब अंदर बैठा हैवान
तब हम गाएँगे खुशी के गीत ...

बहुत सही बात कही आपने सर!

सादर

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

संवेदनशील अभिव्यक्ति

vandana gupta said...

आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

http://charchamanch.blogspot.com/

विभूति" said...

bhut hi bhaavmayi aur gahraayi hai apki rachna me...

रचना दीक्षित said...

बहुत सुंदर रचना.

मातृदिवस की शुभकामनाएँ.

udaya veer singh said...

prakhar bhavmayi kavita ---


जब नहीं मरेगा कोई बेमौत
तब होगी हमारी असली जीत,
मरेगा जब अंदर बैठा हैवान
तब हम गाएँगे खुशी के गीत ...

sunder lagi . abhar

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भावपिरणव रचना को पढ़वाने के लिए आभार!

दिगम्बर नासवा said...

जब नहीं मरेगा कोई बेमौत
तब होगी हमारी असली जीत,
मरेगा जब अंदर बैठा हैवान
तब हम गाएँगे खुशी के गीत ...

सच कहा ... आमीन ... जल्दी ही आए वो लम्हा ...

Anita said...

मृत्युदंड की व्यर्थता को बताती सुंदर कविता !

पुनः पधारकर अनुगृहीत करें .....