आओ उस ओर चलें
जीवन की धारा में
हँसते हुए , दुखों को साथ लिए
आओ चलें ,
थामे हाथ , एक स्वर में गाते
एक ताल पर नाचते पैर
बैठें उस नाव में और बह चलें
आओ उस ओर चलें
आओ चलें
पार करें मिलकर वो पहाड़
जो फैलाए सीना रोज शाम
सूरज को छिपा लेता है अपने शिखर के पीछे
आओ चलें
लांघें उसे क्यूंकि उसके पीछे ही है
मीठे पानी की झील
आओ उस ओर चलें
कांटो से होकर खिलखिलाते फूलों की ओर,
आओ चलें उस मंजिल की ओर
जो जीवन में ही समाई है ,
कहीं दूर नहीं बस उन तूफानों और बादलों के बीच,
आओ उस ओर चलें
....रजनीश
12 comments:
aapki rachana man ko chhoo gayi
वाह बेहतरीन !!!!
अद्भुत अभिव्यक्ति है| इतनी खूबसूरत रचना की लिए धन्यवाद.....रजनीश जी
बहुत सुन्दर... बधाई
लजवाब अभिव्यक्ति.सच ही है चलना ही जिंदगी है.बस यूँ ही सुख दुःख सब साथ लिए चलते रहना ही जीवन है
बहुत खूबसूरत...
बेहतरीन!!
sab milker saath chalen...
गहन भाव समेटे बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.
khoobsurat abhivyakti.
bahut achchi lagi......
sunder bhavvvv.........
Very informative post. Thanks for taking the time to share your view with us.
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