एक हथेली पर
रखे हुए कई बरसों से 
ज्यादा भारी हो जाता है 
कभी कभी 
दूसरी हथेली पर रखा 
एक पल 
पैरों से टकराते 
अथाह सागर से 
बड़ी हो जाती है 
कभी कभी 
अपने भीतर महासागर लिए 
कोने से छलक़ती 
...एक बूंद 
खुले आकाश में 
भरी संभावनाओं सी 
अनंत हवा से 
कीमती हो जाती है 
कभी कभी
जीवन की छोटी सी 
...एक सांस 
बड़े-बड़े 
दरख्तों की छांव से 
ज्यादा सुकून देता है 
कभी कभी 
छोटा सा 
...एक आँचल 
आसमान छूते बड़े 
सुनहरे महलों से 
ज्यादा जगह लिए होता है 
कभी कभी
मुट्ठी बराबर
...एक दिल 
ज़िंदगी की बड़ी 
उलझन भरी बातों से 
बड़ी हो जाती है 
कभी कभी 
छोटी सी
...एक बात
....रजनीश (19.04.15)
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