न पाने में न होने में
 कीमत जानी है खोने में
जो बीत गई सो बात गई
अब रक्खा है क्या रोने में
 मिट्टी में  जो सोंधी खुशबू
वो कहां मिलेगी सोने में
काटो तो वक्त नहीं लगता
महीनों लगते है बोने में
पल भर में जो इक दाग लगे
उसे उमर बीतती धोने में
......रजनीश (२२ फरवरी २०२०)

3 comments:
Very True
बहुत बढ़िया
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति :)
बहुत दिनों बाद आना हुआ ब्लॉग पर प्रणाम स्वीकार करें
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