न पाने में न होने में
कीमत जानी है खोने में
जो बीत गई सो बात गई
अब रक्खा है क्या रोने में
मिट्टी में जो सोंधी खुशबू
वो कहां मिलेगी सोने में
काटो तो वक्त नहीं लगता
महीनों लगते है बोने में
पल भर में जो इक दाग लगे
उसे उमर बीतती धोने में
......रजनीश (२२ फरवरी २०२०)