उनकी बातों मेँ अपना सँसार देखा है
उन्हें जब भी देखा यार देखा प्यार देखा है
सुना है बचपन भगवान का चेहरा होता है
उसी चेहरे पे दरिंदों का अत्याचार देखा है
जो देखकर भी अनदेखा किया करती थीं
आज उन बेफिक्र आखों में इन्तज़ार देखा है
ईमान की तलाश हमें ले गई जहाँ जहाँ
वहाँ इन्सानियत की खाल में भ्रष्टाचार देखा है
खुद को बचा रखने बेच देते हैं खुद को
जहाँ अरमानों के सौदे ऐसा बाजार देखा है
इंसानियत के मरने की खबर बड़ी पुरानी है
पर मिल जाती है जिंदा ये चमत्कार देखा है
बीते वक्त को पुकार देखा ललकार देखा
कभी लौटते कारवां को कभी सिर्फ गुबार देखा है
......रजनीश (12.05.18)