Tuesday, November 30, 2010

खोज

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कोशिश करता रहता हूँ ,

खुद को जानने की,

लगा हूँ एक कोशिश में ,

खुद को समझने की,

सब करते होंगे ये,

जो जिंदा है ,

मरे हुए नहीं करते,

कोशिश का ये रास्ता ,

दरअसल भरा है काँटों से ,

 

बेसिर पैर और अनजानी सी जिंदगी

से बेहतर हैं ये,

जिनकी चुभन से उड़ती है नींद और खुल जाती है आँख ,

ये कांटे दिखाते हैं रास्ता ,

देते हैं हौसला ,

और भरते हैं मुझमें आशा ,

और आगे जाने की और

खुद से बेहतर हो जाने की......

....रजनीश

Monday, November 29, 2010

उन्मुक्तता

 

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जब भी अपने में झाँका है,

पाया खुद को जकड़े और बंधे हुए ;

कहीं मैं बंधा, कहीं कोई बांधे मुझे,

जो मुझे बांधे , खुद बंधा है कहीं और भी

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बुनते है जाल सभी,

बांधते यहाँ -वहाँ , फिर कभी यहाँ तोड़ा वहाँ जोड़ा ,

तोड़ने जोड़ने की कश्मकश ,

इन सारे बंधनों की जकड़न से दूर ,

इन्हें अलग रखकर चलना , सोचा बस है ;

सपना तो हो ही सकता है ये अपने आप को खोलकर पूरा पूरा देखने का ....

Saturday, November 27, 2010

जिंदगी

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जिंदगी - एक अनंत प्रवाह ,

हम देखते हैं इसे बहते

हरदम , चश्मा लगाकर /

जिस रंग का चश्मा – उस रंग की जिंदगी /

किसी को लाल पसंद नहीं /

कोई हरा-पीला पसंद करता है /

हर किसी को आज़ादी - चश्मा बदलो - रंग बदलता है/

DSCN1673 पर ये आज़ादी किसी काम नहीं आती /

हम आज़ाद हो ही नहीं पाते ,

मानो , कोई एक चश्मा जैसे

चमड़ी से जुड़ गया हो / और

हम चाहकर भी चश्मा बदल नहीं पाते

...रजनीश

Thursday, November 25, 2010

रिश्तों की दुनिया

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रिश्तों का सफर है जिंदगी,                                             
जिंदगी की रेल से जैसे स्टेशन का रिश्ता ,
पटरियों के जाल से जुड़े स्टेशन ,
और सुख दुख की इन पटरियों पर दौड़ती ...
येजिंदगी ....
कई गाडियाँ और
पटरियाँ बदलती है / पीछे छूटते स्टेशन
और आगे आते नए   /  और
चलती रहती है ज़िदगी इस तरह                
 IMAG0592सब ओर फैले हैं रिश्ते
यात्री का बर्थ से, गाड़ी का ड्राइवर से रिश्ता,
ड्राइवर का इंजिन से , पटरियों का गाड़ी से,
गाड़ी का प्लैटफ़ार्म से रिश्ता...
प्लैटफ़ार्म का कुली से, कुली का मुसाफिर से
और मुसाफिर का मुसाफिर से रिश्ता...
ताश के पत्तों , बहसों, झगड़ों-रगड़ों , गप्प -चिल्लपों से
बेखबर चलती रहती है रेल
IMAG0545 जितने लोग उतनी मंज़िलें,
मुसाफिर का मंजिल से रिश्ता --
जिसके बीच मिलते ढेरों रिश्ते ---
जिनसे होकर गुजरना होता है ...
पूरी रफ्तार से दौड़ती गाड़ियाँ हर वक़्त /
अपनी अपनी जिंदगी कंधों पर लादे लोग हर तरफ /
ज़िंदगी का सफर , रिश्तों का सफर है,


चलता रहता है ,
हरदम - हरतरफ  फैली पटरियों और रिश्तों के जाल में
......रजनीश (11.12.93 )
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