कविता, 
एक मुकाम है 
दिल के जज़्बातों का
जब उन्हें रास्ता मिलता है तो 
चलकर कलम पर 
आ जाते हैं 
और बस जाते हैं 
कागज की लाइनों में,
सोए रहते हैं,सांस लेते , 
कहीं बेहोश ,मरे हुए से,
कभी अंगड़ाई लेते, उछलते,
लुकते-छिपते,
कभी लाइनों से झाँकते ....
कविता , जज़्बातों की बस्ती है ....
देख सकते हो उन्हें बस्ती में ,
महसूस कर सकते हो...
उधर से गुजरो 
तो जैसे जिंदगी मिलती है
उन्हें ,
और चल पड़ते हैं लाइनों से दिल की ओर,
और शायद एक और कविता 
जन्म लेती है......
....रजनीश
1 comment:
wrote it some 20 yrs ago !! have corrected / edited a bit today and posted for you..
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