हो जाती
गर मुलाक़ात होती है बात की ख़्वाहिश
हो
जाता है शामिल रस्में तोड़ने वालों में मौसम
जब बारिश
में धूप और होती है ठंड में बारिश
मांग
लेते हम भी वही गर दूसरे दर्द नहीं होते
रह जाती
है फेहरिस्त में नीचे चाहत की गुजारिश
मिल
जाती कामयाबी कुछ हम भी बन जाते
रह जाती
कसर थोड़ी अपनी कौन करे सिफ़ारिश
करते
हैं कोशिश कि बढ़ते किसी सफ़र पर कदम
हो जाती
है फिर शुरू हमारे सपनों की साज़िश
...........रजनीश
(02.02.15)